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“नौतपा” शब्द का तात्पर्य गर्मी या उष्णता से होता है। यह एक हिंदी शब्द है जिसे आम तौर पर उष्णता के बारे में बताने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब किसी वस्त्र, मौसम, या पर्यावरण में गर्मी की अधिकता या उष्णता महसूस की जाती है, तो उसे “नौतपा” कहा जाता है। इसे गर्मी या ऊष्मा के सम्बंध में भी व्याख्या किया जा सकता है।
यह कब से कब तक होता है
“नौतपा” यानी गर्मी या उष्णता सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु के दौरान होता है। भारत में ग्रीष्म ऋतु मार्च से जून तक चलती है। इस पीरियड में सामान्यतः तापमान उच्च रहता है और नौतपा की अधिकता महसूस होती है। हालांकि, इस अवधि में भी भूमध्य स्थानों और ऋद्धि क्षेत्रों के अनुसार तापमान और नौतपा में विविधता हो सकती है।
ज्योतिष विज्ञान में नौतपा के बारे में क्या कहा गया
ज्योतिष विज्ञान में “नौतपा” शब्द का प्रयोग नहीं होता है और इसके बारे में कोई विशेष ज्योतिषीय बातचीत नहीं की जाती है। ज्योतिष विज्ञान ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों, और आकाशीय घटनाओं के प्रभावों का अध्ययन करने वाला एक विज्ञान है। इसमें ग्रहों के स्थानों, गोचरों, और दशाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है जिसे ज्योतिषीय विश्लेषण के माध्यम से समझा जाता है। नौतपा ज्योतिष विज्ञान के व्यवहारिक क्षेत्र में नहीं सम्मिलित होता है।
नौतपा का मौसम पर क्या प्रभाव पड़ता है
नौतपा यानी गर्मी या उष्णता मौसम पर कई प्रभाव डालता है। यहां कुछ मुख्य प्रभावों को देखा जा सकता है:
- तापमान: नौतपा के कारण तापमान बढ़ जाता है। यह बारिश की क्षमता को कम कर सकता है और सूखे की स्थिति पैदा कर सकता है।
- जलवायु: नौतपा मौसम को जलवायु प्रभावित कर सकता है। यह सुखी और गर्म जलवायु का कारक हो सकता है जहां बारिश कम होती है और जलस्रोतों की कमी होती है।
- पौधों और वनस्पतियों पर प्रभाव: नौतपा पौधों और वनस्पतियों पर प्रभाव डालता है। उच्च तापमान के कारण पानी की कमी हो सकती है, जो पौधों की विकास और प्रजनन को प्रभावित कर सकता है।
- मानव स्वास्थ्य: नौतपा अधिकतर लोगों को शीतलकरण, तनाव, देर तक सतह पर रहने की आवश्यकता का अनुभव कराता है। यह गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है जैसे कि दिहांडी, उष्णकटिबंधीय दौरे और उच्च रक्तचाप।
यहां दिए गए प्रभाव सामान्य हैं और इनका अनुभव भूमिगत और स्थानिक मानदंडों पर निर्भर करेगा।