मुंबई, फिल्म “कांतारा” ने ओटीटी एवं थिएटर में मचाया धमाका। इस फिल्म ने आम दर्शकों को झकझोर के रख दिया था। इस फिल्म में बताया गया है कि तर्क एवं वितर्क के विपरीत भी एक अदृश्य शक्ति है। जिसे हम कभी अपने निजी अनुभव पर, तो कभी अपने धर्म, परंपरा और संस्कृति के जरिए महसूस करते हैं। फिल्म मैं कई दफा रोंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य आए हैं। लोगों ने थिएटर और ओटीटी पर इसका भरपूर आनंद उठाया है और इसे कई बार देखा है। अधिकतर दर्शक “कांतारा” का अर्थ ही नहीं जानते हैं।
लगभग 90 फ़ीसदी लोग कांतारा अर्थ नहीं जानते हैं।कांतारा का मतलब है कि”रहस्यमय जंगल”दूसरे भाग में हमें से मायावी जंगल भी कह सकते हैं। जो मनुष्य, प्रकृति में विलीन होकर देवी शक्ति का हिस्सा बन जाता है ऐसा फिल्म में दिखाया गया है। इस फिल्म में दिखाया गया कि कैसे गांव वाले अपने जमीन और जंगल को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। जंगल के करीब रहने वाले लोग उस पर अपना अधिकार जताते हैं। फिल्म का हीरो शिवा जंगल जाकर जानवरों का शिकार करता है। वह वन अधिकारी से लड़ता है। कई बार उसे रहस्य में जंगल में वराह देव (भगवान विष्णु के अवतार) के होने की अनुभूति होती है जिससे वह बहुत घबराता भी है।
कन्नड़ लोगों के देवता “दैव पंजुरली”की कहानी पर आधारित है “कांतारा”
फिल्म के क्लाइमेक्स में लालची और अत्याचारी जमीदारों से गांव वालों को बचाने के लिए शिव आप पर दैवीय शक्ति प्रवेश करती हैं और अत्याचारी का नाश होता है। फिल्म में कन्नड़ लोक देवता “दैव पंजुरली” की झलक भी मिलती है। जिन्हें कन्नड़ लोग जमीन और जंगल का रक्षक भी मानते हैं। “दैव पंजुरली”की कन्नड़ लोग पूजा अर्चना करते हैं और बड़े धूमधाम से “भूत कोला’ नामक त्यौहार मनाते हैं। इस त्यौहार में नर्तक “दैव पंजुरली” का वेश धारण करता है। और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुरूप नृत्य करता है।”दैव पंजुरली”भगवान विष्णु के वराह अवतार का स्वरूप है।
“कांतारा” मैं लीड रोल में है ऋषभ शेट्टी।
कन्नड़ फिल्म “कांतारा” को ऋषभ सिटी ने लिखा और डायरेक्ट किया। फिल्म में ऋषभ शेट्टी ने लीड रोल भी निभाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,कांतारा की हिंदी वर्जन में करीब ₹80 करोड़ कमाए हैं। फिल्म की कुल कमाई लगभग ₹450 करोड़ हैं। फिल्म पिछले साल 30 सितंबर को रिलीज हुई थी। फिर भी लगातार फिल्म धूम मचा रही है।