नर्सिंग छात्र संगठन से जुड़े स्टूडेंट्स ने नर्सिंग ऑफिसर्स भर्ती परीक्षा के जरिए करवाने की मांग की है। उन्होंने इस भर्ती में अकेडमिक नंबरों के आधार पर नियुक्ति देने का विरोध जताया है। साथ ही आरोप लगाया कि इससे उन स्टूडेंट्स को नुकसान हो रहा है, जो अपने कॉलेज या स्कूल के समय टॉपर रहे है। राज्य सरकार ने प्रदेश में नर्सिंग ऑफिसर के 7 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए। जून में मांगे गए इन आवेदनों की कुछ समय पहले हेल्थ डिपार्टमेंट प्रोविजनल सूची जारी की है। इस सूची में कई आवेदकों की फर्जी डिग्री समेत अन्य मामले सामने आए है, जिनको कोर्ट में भी चैलेंज किया गया है। इस भर्ती में 30 फीसदी तक अंक संविदा या यूटीबी के आधार पर या एनएचएम के जरिए काम करने वाले कर्मचारियों को दिए जा रहे है। जबकि 70 फीसदी अंक स्नातक डिग्री तक प्राप्त अंकों को आधार बनाकर दिए जा रहे है। फ्रेशन स्टूडेंट्स जिन्होंने स्नातक, पीजी या पीएचडी की है उनको केवल 70 फीसदी अंक पर ही भर्ती के लिए मौका मिलता है।
मेडिकल ऑफिसर की तरह करवाई जाए परीक्षा
बेरोजगार नर्सिंग स्टूडेंट्स संघ से जुड़े सतेन्द्र, नीरज, दीपक, मनीष समेत अन्य स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया गया कि विज्ञप्ति जारी होने के साथ ही कई स्टूडेंट्स दूसरे राज्यों से ज्यादा नंबर वाली फर्जी डिग्री-मार्कशीट्स लाकर आवेदन कर देते है। इससे राज्य के स्टूडेंट्स को मौका नहीं मिलता। इसलिए स्टूडेंट्स ने नर्सिंग ऑफिसर भर्ती भी मेडिकल ऑफिसर की तर्ज पर परीक्षा करवाकर करने की मांग की है।