श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और श्राद्ध पक्ष के बारे में कुछ शास्त्रों के विचार इस प्रकार हैं जो जातक श्राद्ध पक्ष में पेड़ लगाता है जैसे पीपल वह बड़का और तुलसी का तो उसके पूर्वज बड़े ही प्रसन्न होते हैं और उसे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है कहते हैं पूर्वजों की हस्तियों को हरिद्वार ले जाया जाता है और गंगा में जल प्रभाव किया जाता है गंगा भगवान विष्णु के चरण के रूप में मानी गई है वह मोक्ष का द्वार भी माना गया है इसीलिए उसका नाम हरिद्वार रखा गया इसीलिए वहां हस्तियों को जल प्रभाव किया जाता है और त्रिपिंडी श्राद्ध और अन्य प्रकार की कई श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं
पितर पक्ष में पंचबली भोग लगाना न भूले, नहीं तो भूखी ही वापस चली जाएंगी पित्रों का आत्मा|
पितृ पक्ष में सभी अपने पित्रों के निमित्त कुछ न कुछ श्राद्ध कर्म करते ही है, लेकिन कहा जाता है इन पंद्रह दिनों में खासकर पंचबली भोग का यह कर्म हर किसी को अपने दिवंगत पूर्वज पित्रों के लिए करना ही चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पंचबली के भोग से पितरों की आत्मा तृप्त और प्रसन्न होकर अपने वंशजों को खुब-खुब स्नेह आशीर्वाद देती है। 20 सितंबर में पितृपक्ष शुरू होकर होने जा रहा है ये पंचबली भोग है क्या और इसे कैसे करना चाहिए।
पितृ पक्ष 2021: सबसे पहले इनका श्राद्ध कर्म करने से पित्रों की अतृप्त आत्माओं की मिल जाती है मुक्ति
शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों के निमित्त पंचबली (भूतयज्ञ) के माध्यम से 5 विशेष प्राणियों को श्राद्ध का भोजन कराने का नियम है। अगर पितृ पक्ष इन प्राणियों को भोजन कराया जाता है तो पितृ इनके द्वारा खाये अन्न से तृप्त हो जाते हैं। जाने वे कौन से जीव हैं जिन्हें भोजन कराने से पितृ तृप्त हो जाते हैं ।
अपने दिवंगत पितरों की याद में पितृ पक्ष में जरूर लगावें ये पौधे।
विभिन्न योनियों में संव्याप्त जीव चेतना की तुष्टि हेतु भूतयज्ञ किया जाता है। अलग-अलग 5 केले के पत्तों या एक ही बड़ी पत्तल पर, पांच स्थानों पर भोज्य पदार्थ रखे जाते हैं। उरद- दाल की टिकिया तथा दही इसके लिए रखा जाता है, और इन्हें पांच भाग में रखकर- गाय, कुत्ता, कौआ, देवता एवं चींटी आदि को दिया जाता हैं। सभी का अलग अलग मंत्र बोलते हुए एक- एक भाग पर अक्षत छोड़कर पंचबली समर्पित की जाती है।
पितृ पक्ष 2021 : हमारे पितरों की कुल इतनी श्रेणियां होती है, इनके अनुसार श्राद्ध करने पर प्रसन्न होतें है दिवंगत पितर मैं पिता को अष्टमी का और माता को नवमी का महत्व भी दिया गया है जिस किसी जातक को अपने पिता की तिथि याद ना हो वह अष्टमी और नवमी को उनका श्राद्ध करने की व्याख्यान दिया गया है।
संकल्प
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ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु : अद्य ब्रह्मनो $ ह्नि द्वितीय परार्द्धे श्रीश्वेमासे पुण्य पवित्रे मासे आश्विन मासे कृष्ण पक्षे एकम् तिथौ पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्रे शुल योगे भाव करणे शनि वासरे कुंभ राशि स्थिते चंद्रे सिंह राशि स्थिते सूर्ये वृश्चिक पुण्य (जिनके श्राद्ध है उनके गोत्र और नाम बोले) तिथौ अमुक गोत्र अमुक नाम (अपने गोत्र और नाम बोले) एकोदिष्ट श्राद्ध निमित्त पंचबलि यज्ञ अहं करिष्ये।
पंचबली
1- गौ बली अर्थात- पहला भोग पवित्रता की प्रतीक गाय माता को खिलाएं।
2- कुक्कुर बली अर्थात- दूसरा भोग कत्तर्व्यष्ठा के प्रतीक श्वान (कुत्ता) को खिलाएं।
पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021से शुरू हो रहे पूर्वज पित्रों के पवित्र श्राद्ध, देखें आपके पितृ का किस दिन है श्राद्ध
3- काक बली अर्थात- तीसरा भोग मलीनता निवारक काक (कौआ) को खिलाएं।
4- देव बली अर्थात- चौथा भोग देवत्व संवधर्क शक्तियों के निमित्त- (यह भोग किसी छोटी कन्या या गाय माता को खिलाया जा सकता है)
5- पिपीलिकादि बली अर्थात- पांचवां भोग श्रमनिष्ठा एवं सामूहिकता की प्रतीक चींटियों को खिलाएं।
आचार्य धर्मेंद्र खंडेलवाल जयपुर
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अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)