बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की अंदरूनी कलह आने वाले समय में सामने आएगी। मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ मतभेद ही शुरू हो गए हैं। 13 निर्दलीय विधायकों में से एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। वह विधायक अब दुखी है कि गहलोत सरकार को समर्थन क्यों दिया। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह में से एक ही विधायक को मंत्री बनाया गया है। बाकी पांच विधायकों में असंतोष उभर रहा है। वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करके जिस तरह की अनदेखी की गई है। उनकी नाराजगी भी सरकार पर आने वाले दिनों में भारी पड़ेगी।
13 निर्दलीय विधायकों में से एक भी मंत्री नहीं-
प्रदेश बीजेपी मुख्य प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद जौहरीलाल मीणा का बयान आया। जिसमें उन्होंने नाराजगी जाहिर की है। सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सचिन पायलट का पूरी कांग्रेस को एकजुट होने की नसीहत देना केवल दिखावा है। दिखावा इसलिए है क्योंकि पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है। क्योंकि 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन प्राप्त सरकार में एक भी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है।
बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों में से एक ही मंत्री बना-
रामलाल ने कहा कि बसपा से छह विधायक कांग्रेस में इसलिए आए थे कि मंत्रिपरिषद का हिस्सा वह भी बनेंगे। लेकिन 6 में से केवल एक ही विधायक को मंत्री बनाया गया है। कांग्रेस कितने ही दावे करे अंदरूनी कलह आज नहीं तो कल सामने आ ही जाएगी।
वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी और नाराजगी पड़ेगी गहलोत सरकार को भारी-
रामलाल शर्मा ने कहा कि जिस तरह वरिष्ठ विधायकों को मंत्री परिषद में शामिल नहीं किया गया है। उनकी नाराजगी का सामना भी आने वाले समय में गहलोत सरकार को करना होगा। चाहे हाडोती के कद्दावर नेता रामनारायण मीणा हो, चाहे शेखावाटी के कद्दावर नेता दीपेंद्र सिंह शेखावत हो। दलित समाज का चेहरा परसराम मोरदिया या कोटा से आने वाले विधायक जो पूर्व मंत्री रहे भरत सिंह हो। जो हमेशा कहते हैं कि राजस्थान में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है। मुख्यमंत्री जी इस भ्रष्टाचार की गंगा को कब तक रोकेंगे। इन वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा कांग्रेस को आने वाले समय में भारी पड़ेगी। राजस्थान की जनता को भी इससे बड़ा नुकसान होगा।
अजय सिंह भाटी (मार्मिक धारा)